हेलो दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम बात कर रहे हैं एंडोस्कोपी की और जानेंगे कि क्या होती है एंडोस्कोपी। एंडोस्कोपी आदमी के शरीर के अंदर के अंगों को अच्छे से जांच करने का एक तरीका होता है, जिस डॉक्टर एंडोस्कोपी कहते हैं। एंडोस्कोपी करने के बाद आपके शरीर में गंभीर बीमारियों का पता लगाया जा सकता है। और साथ ही साथ कई बार एंडोस्कोपी करने के साथ बहुत सारी परेशानियां खुद-बा खुद भी हल हो जाती हैं।
तो आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि कौन-कौन से फायदे हैं एंडोस्कोपी करने के।
क्या एंडोस्कोपी करने की कुछ नुकसान भी हैं? और यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि किन कारणों से डॉक्टर एंडोस्कोपी करने का सुझाव देते हैं।
तो चलिए सबसे पहले बात करते हैं एंडोस्कोपी आखिर होती क्या है ?
एंडोस्कोपी जिसे चिकित्सीय भाषा में कहा जाता है चिकित्साकरण। एंडोस्कोपी की मदद से डॉक्टर शरीर के अंदर देख पाते हैं, यह एक ऐसा चिकित्सीय उपकरण है जिसका प्रयोग करके शरीर के खोखले अंगों अथवा छिद्रों के द्वारा शरीर के अंदर जाने की प्रक्रिया होती है।
शरीर के आंतरिक अंगों और उत्तकों को अच्छे से जांच करने के लिए शरीर में एक पतला और लंबा ट्यूब सीधे डाला जाता है। इसी प्रक्रिया को एंडोस्कोपी कहा जाता है।
इस प्रक्रिया में शरीर में बिना चीरा लगाएं किसी भी अंग में उत्पन्न हो रही बीमारियों और समस्याओं का पता लगाया जा सकता है। एंडोस्कोपी में एक पतला और लचीला ट्यूब होता है, जिसके ऊपर एक कैमरा लगा होता है जब डॉक्टर ऐसे शरीर के अंदर डालते हैं, तो कैमरा स्टार्ट हो जाता है। और कैमरे के द्वारा अंदर के भागों को मॉनिटर पर दर्शाया जाता है। जिससे डॉक्टर को शरीर के उस भाग में उत्पन्न हो रही बीमारियों या समस्याओं को आसानी से पता लग सकता है। इस उपकरण को सामान्यतः मरीज के मुंह या गले के द्वारा भोजन नली में प्रवेश कराया जाता है।
आखिर क्यों किया जाता है एंडोस्कोपी का चयन ?
चलिए दोस्तों जानते हैं की एंडोस्कोपी किन-किन कारणों से डॉक्टर द्वारा करवाई जाती
1. पेट के दर्द के कारणों का पता लगाने के लिए
2. यदि आपको कुछ निगलने में कठिनाई हो रही है और यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है इसके लिए भी डॉक्टर एंडोस्कोपी करने का सुझाव दे सकते हैं।
3. यदि आपके पाचन तंत्र में ब्लीडिंग हो रही हो तब भी एंडोस्कोपी का सुझाव दिया जाता है।
4. जब आपका डायरिया या कब्ज अत्यधिक बढ़ जाए उसे कंडीशन में भी असली बीमारी का पता लगाने के लिए एंडोस्कोपी का चयन किया जाता है।
5. पेट के अल्सर , पथरी और ट्यूमर आदि की जांच करने के लिए भी एंडोस्कोपी का उपयोग किया जाता है।
6. पेनक्रिएटाइटिस और पेट में सूजन होने पर भी एंडोस्कोपी किया जाता है।
7. यदि आपके पेशाब में खून आ रहा है और डॉक्टर यह पता नहीं लग पा रहे हैं कि किस कारण से यह हो रहा है तब भी एंडोस्कोपी की जाती है।
8. शरीर में हर्निया के निदान को या हर्निया को दूर करने के लिए भी एंडोस्कोपी का उपयोग किया जाता है।
9. यहां तक की गंभीर संक्रमण होने पर भी एंडोस्कोपी की जाती है।
एंडोस्कोपी किन-किन तरीकों से की जाती है
एंडोस्कोपी की प्रक्रिया में सबसे पहले डॉक्टर मॉनिटर पर मरीज के सांस की गति ब्लड प्रेशर और हृदय गति की निगरानी करते हैं। और इसके बाद डॉक्टर मरीज को एक दवा दे देते हैं यह दावा मरीज के बाजु की नसों में दी जाती है, जो एंडोस्कोपी के दौरान मरीज को किसी भी प्रकार के दर्द में राहत दिलाता है। इसके बाद डॉक्टर मरीज के मुंह में एक स्प्रे दाल देते है ,जब यह स्पेस छिड़का जाता है तो गले को सुन कर देता है। इससे लंबे समय तक एंडोस्कोपी की ट्यूब को गले में प्रवेश कराए रखने में मदद मिलती है। और मरीज को कोई असुविधा भी नहीं होती।
मुंह को खुला रखने के लिए मरीज के मुंह पर एक प्लास्टिक का मास्क पहना दिया जाता है। जिससे वह मुंह को बंद न कर पाए क्योंकि यदि बीच में ही यदि मरीज अपना मुंह बंद करने की कोशिश करेगा तो इससे थोड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसके बाद इंडो स्कोप को गले के अंदर डाला जाता है, और मरीज को गले के नीचे एंडोस्कोपी को खिसकाने के लिए कहा जाता है, इस दौरान मरीज को गले में हल्का सा दबाव महसूस तो जरूर होता है, लेकिन इससे उसे दर्द नहीं होता है।
एंडोस्कोपी करने के क्या-क्या फायदे हो सकते हैं।
एंडोस्कोपी करने का सबसे बड़ा फायदा यही होता है कि अन्य टेस्टों की बजे यह कम आक्रामक होता है।
यह टेस्ट करने के लिए कम से कम तैयारी की जाती हैं और इसमें समय भी काफी कम लगता है।
हालांकि एंडोस्कोपी टेस्ट से पहले मरीज को रात से ही कुछ भी खाने या पीने के लिए मना कर दिया जाता है, यह भी इसलिए किया जाता है कि खाली पेट होने की वजह से डॉक्टर को रोग का सही पता लगाने में आसानी हो।
इंडोस्कोपी टेस्ट के नुकसान कौन-कौन से होते हैं ?
- एंडोस्कोपी के बाद हो सकता है मरीज के शरीर में कुछ ऐठन या शरीर में थोड़ी सूजन आ जाए।
2. एनेस्थीसिया देने के कारण मरीज के गले में कुछ घंटे तक सुन पन रहा सकता है।
3. कई बार एंडोस्कोपी जिस एरिया में की जाती है उसे स्थान पर संक्रमण होने का खतरा बन जाता है।
4. जिस जगह पर एंडोस्कोपी की जाती है उसे जगह पर कुछ समय तक दर्द बना रह सकता है।
5. एंडोस्कोपी करने के बाद मरीज को आंतरिक ब्लीडिंग भी हो सकती है।
6. लेकिन मरीज का ध्यान डॉक्टर अगले 24 घंटे तक रखते हैं ताकि किसी भी प्रकार की असुविधा होने पर मरीज का सही इलाज किया जा सके।
7. कुछ समय के लिए मरीज के माल का रंग भी थोड़ा अधिक गहरा हो सकता है